दोस्तों,
इस आर्टिकल को पढ़ने से पहले कृपया हमारा बीमा पर लिखा हुआ यह आर्टिकल What is insurance? जरूर पढ़ लें|
आज हम इस आर्टिकल में बीमा के मुख्य उद्देश्य (What is the purpose of insurance), बीमा का महत्व (Importance of insurance), बीमा में क्या खतरे होते हैं (What is risk in insurance), type of insurance, बीमा के क्या लाभ होते हैं (Benefits of insurance) इत्यादि के विषय में बात करेंगे -
बीमा के प्रमुख उद्देश्य और महत्व -
(What is the purpose of insurance, Purpose of insurance, Importance of insurance) -
Purpose of insurance |
बीमा का मुख्य उद्देश्य (Purpose of insurance) किसी दुर्घटना आदि के बाद होने वाली आर्थिक क्षति की पूर्ति करना है। किसी व्यक्ति या वस्तु जो कि एक संपत्ति (Asset) की तरह होते हैं, का बीमा करना इसलिए आवश्यक होता है क्योंकि हर ऐसेट की एक कीमत होती है, जिस कारण से उससे कुछ लाभ कमाने की भी अपेक्षा उसके स्वामी (Owner) को रहती है, लेकिन इसके साथ ही उस एसेट के नष्ट होने की भी एक उम्र होती है। कभी कभी उस एसेट के किसी दुर्घटना जैसे आग, बाढ़, भूकम्प, चोट आदि के कारण समय से पहले ही उसके नष्ट होने के संभावित खतरे बने रहते है। जिन एसेट के साथ ये संभावित खतरे हो सकते हैं जिससे उन खतरों के घटने के कारण किसी न किसी रूप में मिलने वाला आर्थिक लाभ बंद हो जाता है, फलस्वरूप इस कारण से आर्थिक हानि उसके स्वामी को (Owner) को हो सकती है। इन्ही सम्भावित खतरों के फलस्वरूप उत्पन्न आर्थिक हानियों को कम से कम करना ही बीमा का प्रमुख उद्देश्य (Purpose of insurance) होता है।
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What is risk in insurance -
"परन्तु ये खतरे या घटनाएँ अनिश्चित या संभावित होते हैं, अर्थात ये हो भी सकते हैं और नहीं भी। बीमा का अस्तित्व ही इन्हीं अनिश्चितताओं के कारण होता है। जहां अनिश्चितता नहीं होती है वहां बीमा भी नहीं हो सकता है। अर्थात जहां किसी घटना के कारण आर्थिक नुकसान की संभावना होती है, बीमा केवल वही किया जाना संभव है।"
परन्तु ध्यान रखने योग्य बात यह है कि बीमा द्वारा एसेट को इन अनिश्चित घटनाओं से सुरक्षित नहीं किया जा सकता है और न ही इन अनिश्चित घटनाओं को रोका ही जा सकता है। बीमा केवल इन अनिश्चित घटनाओं के घटने के कारण एसेट के स्वामी को होने वाले आर्थिक नुकसान को ही कम करता है।
What is risk in insurance, risk classification in insurance, type of insurance -
बीमा में संभावित खतरों या दुर्घटनाओं को विभिन्न प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है। जिसके उदाहरण निम्न हैं -
1. गंभीर व पूर्ण विनाषक खतरे/हानियां -
वे खतरे या हानियाँ जिनके कारण व्यक्ति (Asset's owner) का बहुत बड़ा नुकसान हो जाता है, सब कुछ तबाह हो जाता है और उससे उबरने में काफी लम्बा समय लग जाता है। अर्थात व्यक्ति को पूर्ण हानि का सामना करना पड़ता है, वह दिवालिया होने की कगार पर आ जाता है। जैसे किसी प्राकृतिक आपदा बाढ़, आग या भूकम्प आदि से हुआ सम्पूर्ण नुकसान या किसी बड़े कर्ज में डूबने से हुआ नुकसान व्यक्ति को पूरी तरह से बर्बाद कर देता है और इस नुकसान से उबरने में उसे बहुत लम्बा वक़्त लग जाता है।
2. स्थिर व अस्थिर खतरे/हानियां -
ऐसे नुकसान जिनका असर केवल एक व्यक्ति पर ही पड़ता है, और इनका कोई व्यापक असर नहीं पड़ता है स्थिर हनियाँ कहलाती हैं। इनमें चोरी, सड़क दुर्घटना आदि से होने वाले नुकसान का उदाहरण दिया जा सकता है। इससे केवल वही व्यक्ति प्रभावित होता है, जिसके साथ यह दुर्घटना होती है। जबकि अस्थिर हनियाँ वे होतीं हैं जिनका असर बहुत व्यापक रूप से होता है, जिसका असर पूरे देश पर हो सकता है। जैसे बाढ़, सूखा, राजनीतिक उतार चढ़ाव, आर्थिक मंदी आदि जैसी घटनाओं से पूरे देश पर असर पड़ता है। यद्यपि इस तरह की हानियों की संभावना कम रहती है।
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3. वित्तीय एवं गैर वित्तीय हानियाँ -
ऐसी हानि जिससे कोई वित्तीय यानी कोई आर्थिक नुकसान होता है, वित्तीय हानियाँ कहलाती है और जिन हानियों से किसी प्रकार का आर्थिक नुकसान नहीं होता है वो गैर वित्तीय हानियाँ होतीं हैं। बीमा केवल वहीं किया जा सकता है जहाँ किसी प्रकार की वित्तीय हानि हो रही हो। जहां किसी हानि से कोई वित्तीय संकट न उत्पन्न हो रहा हो, वहां बीमा करना सम्भव नहीं होता है।
इसके अलावा बीमा जुए आदि से हुए नुकसान की भरपाई नहीं करता है। बीमा मुख्यतः दैविक आपदा से संबंधित हानियों में ही सम्भव हो सकता है।
बीमा करवाने से के कई लाभ होते हैं। इनमें से कुछ निम्नवत हैं -
1. जीवन बीमा को केवल एक निवेश की ही तरह देखा जाना सही नहीं होता है, यह एक आर्थिक रूप से एक सुरक्षा कवर प्रदान करता है. यदि जीवन बीमा के संदर्भ में देखा जाये तो इसके अलावा दूसरी कोई ऐसी योजना नहीं है जो जीवन बीमा की तरह जीवन पर्यंत या अगले कुछ निश्चित वर्षों तक आर्थिक हानियों की भरपाई की गारंटी देता है। परिपक्वता के समय बीमित धनराशि के साथ साथ पूरे बीमा अवधि तक दिए गए किश्तों पर बोनस भी प्राप्त होता है। जबकि मृत्यु की स्थिति में पूरी बीमा धनराशि बीमा कर्ता द्वारा दी जाती है।
2. बीमा का एक और बड़ा फायदा यह होता है कि बीमा अवधि के बीच में मृत्यु होने पर बीमा धनराशि का भुगतान बीमित व्यक्ति के हितकारी (नॉमिनी) को कर दिया जाता है अथवा आगे की सारी किश्तें बीमा कर्ता द्वारा माफ कर दी जाती हैं और बीमा से मिलने वाले सारे लाभ भी जारी रहते हैं। यह बीमा पॉलिसी के नियम और शर्तों पर निर्भर करता है। ऐसा और किसी भी दूसरी योजना में नहीं होता है।
3. बीमा को सरकार द्वारा प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे आयकर में सेक्शन 80 (C) के अन्तर्गत बीमा धारक को छूट प्राप्त होती है।
4. बीमा से मिलने वाली धनराशि पर कर्ज देने वाले अपना कर्ज प्राप्त करने के लिए किसी प्रकार का दावा नहीं किया जा सकता है। यह कानूनी अपराध है।
5. बीमा पॉलिसी एक संपत्ति होती है, जरूरत पड़ने पर इस पर ऋण (Loan) भी लिया जा सकता है।
6. बीमा किसी बीमा एजेंट के ही द्वारा बेचा जा सकता है, इससे रोजगार का भी अवसर उत्पन्न होता है, जिससे बीमा एजेंट के परिवार का भरण पोषण भी हो जाता है।
Purpose of insurance |
आज हमने इस आर्टिकल के माध्यम से ये जाना कि बीमा के मुख्य उद्देश्य (What is the purpose of insurance), बीमा का महत्व (Importance of insurance), बीमा में क्या खतरे होते हैं (What is risk in insurance), type of insurance, बीमा के क्या लाभ होते हैं (Benefits of insurance) इत्यादि के विषय में जानकारी प्राप्त किया।
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Interesting narration 👍
ReplyDeleteThank you.....
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