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Monday, August 26, 2019

What is system software । System software examples । what is operating system । what is Operating system and it's function । what is assembler । what is compiler। what is interpreter

पिछले आर्टिकल में हमने सिस्टम् सॉफ्टवेयर (What is system software) के विषय में पढ़ा था। आज हम इसके उदाहरणों (System software examples) के बारे में जानेंगे। 

सिस्टम साफ्टवेयर (What is system software, what is system software in hindi) - 

What is system software
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 कंप्यूटर के कार्यों को कंट्रोल करने के लिए बनाया गया एक या कई प्रोग्रामों का समूह होता है। यह अन्य सॉफ्टवेयरो के चलने के लिए प्लैटफॉर्म होता है। सिस्टम सॉफ्टवेयर पेरिफेरल डिवाइसों के साथ कम्युनिकेशन करने, कुछ सॉफ्टवेयरों को डेवलप करने, विभिन्न हार्डवेयर जैसे मेमोरी, मॉनिटर, सी.पी.यू. आदि को मॉनिटर आदि करने का कार्य करते हैं। जिससे कंप्यूटर प्रभावी तरीके से कार्य कर पाने में सक्षम होता है। सिस्टम सॉफ्टवेयर (What is system software) के प्रमुख उदाहरण निम्न हैं -

सिस्टम साफ्टवेयर के उदाहरण (System software examples) - 

  • ऑपरेटिंग सिस्टम (What is Operating system, what is Operating system and it's function) -
Technical vaani
what is system software

ऑपरेटिंग सिस्टम एक शेड्यूलर की तरह कार्य करने वाला एक मास्टर कंट्रोल प्रोग्राम होता है जो कंप्यूटर को चलाता है। कंप्यूटर ऑन करते ही सबसे पहले ऑपरेटिंग सिस्टम ही कंप्यूटर की मेमोरी में लोड होता है। यह कंप्यूटर के विभिन्न भागों में सिग्नल फ्लो को भी नियंत्रित करते हैं। कुछ पॉपुलर ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating system) जैसे - DOS, Windows, Linux, Unix आदि हैं।
ऑपरेटिंग सिस्टम अन्य सॉफ्टवेयर को चलने के लिए स्टैंडर्ड तय करता है। इसके प्रमुख कार्य निम्न हैं -

1. डेटा मैनेजमेंट  (Data Management)
2. जॉब मैनेजमेंट (Job Management)
3. टास्क मैनेजमेंट (Task Management)
4. सिक्यूरिटी (Security)
5. बूटस्ट्रैप (Bootstrap)


  1. डेटा मैनेजमेंट (Data Management) - 
What is operating system and it's function
What is operating system and it's function

ऑपरेटिंग सिस्टम डिस्क पर डेटा को ट्रैक करता है इसीलिए DOS को डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम कहा जाता है। जब किसी एप्लीकेशन को मेमोरी से डेटा ऐक्सेस करने की जरूरत होती है तो वह ऑपरेटिंग सिस्टम को रिक्वेस्ट कोड भेजता है, तब ऑपरेटिंग सिस्टम उस डेटा को मेमोरी से फेच करके डेटा डिलीवर करता है। इसी प्रकार जब डेटा को प्रिंट की जरूरत होती है तो ऑपरेटिंग सिस्टम प्रोग्राम से डेटा मेमोरी में कही सेव कर देता है। इस प्रकार सिस्टम् सॉफ्टवेयर डेटा मैनेजमेंट का कार्य करता है।

2. जॉब मैनेजमेंट (Job Management) - 

सामान्य कंप्यूटर में केवल वही एप्लीकेशन प्रोग्राम यूजर्स से रिक्वेस्ट मिलने के बाद ऑपरेटिंग सिस्टम में लोड होते हैं जिनको लोड करने की रिक्वेस्ट यूजर्स से मिलती है जबकि भारी वर्क लोड वाले कम्पुयटर एक साथ कई रिक्वेस्ट को हैंडल करते हैं और कई प्रोग्रामों को एक साथ आपरेटिंग सिस्टम में लोड करते हैं। इसके लिए इन कंप्यूटर में ऑपरेटिंग सिस्टम जॉब कंट्रोल सिस्टम बनाकर प्रियारिटी के अनुसार अलग अलग जाब रिक्वेस्ट (अनुरोध) को पूर्ण करता हैं। इसे जॉब मैनेजमेंट कहा जाता है।

3. टॉस्क मैनेजमेंट (Task Management) - 

कंप्यूटर में मल्टीटास्किंग के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम वरीयता के आधार पर रिक्वेस्ट्स को पूरा करता है। जो टास्क ज्यादा जरूरी होता है उसे ऐडवांस ऑपरेटिंग सिस्टम यूज़र से मिले कमांड के हिसाब से उच्च वरीयता देकर पूरा कर देता है और कम जरूरी टास्क को कम वरीयता के आधार पर पूर करता है।

4. सिक्यूरिटी (Security) - 

What is operating system and it's function
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सिक्युरिटी मेन्यूटेन करने के लिए लाँगिन सिस्टम का यूज किया जाता है। ऑपरेटिंग सिस्टम में आथराइज् और अनआथराइज्ड यूजर्स की लिस्ट होती है जिससे कंप्यूटर को यूज करने के लिए पासवर्ड की जरूरत होती है। हर यूज़र के लिए लाग फ़ाइल मैंटेन होती है जिससे रिकवरी और बैकअप के साथ सिक्यूरिटी भी मैंटेन रहती है।

5.  बूटस्ट्रैप प्रोग्राम (Bootstrap) - 

कंप्यूटर को स्टार्ट करने पर BIOS, रोम (ROM) मेमोरी से मिले निर्देशों के अनुसार सारी फाइलों, हार्डवेयर, पेरिफेरल डिवाइसेस, ड्राइवर आदि को चेक करके ऑपरेटिंग सिस्टम इसके मेन मेमोरी (RAM) में लोड करता है और कंप्यूटर को वर्क करने की अवस्था में लाता है। इसके लिए रोम मेमोरी में एक चिप बूटस्ट्रैप रूटीन होती है, यह ऑटोमैटिक एक्जीक्यूट होती है जब कंप्यूटर को ऑन या फिर रिसेट किया जाता है। बूटस्ट्रैप रूटीन ही ऑपरेटिंग सिस्टम को लोड करके कंट्रोल पास करती है। कंप्यूटर के स्टार्ट होने और ऑपरेटिंग सिस्टम के मेन मेमोरी में लोड होने की इस प्रक्रिया को बूटिंग कहा जाता है। यह दो प्रकार की होती है - कोल्ड बूटिंग (Cold booting) और दूसरी वार्म बूटिंग (Warm booting)

कोल्ड बूटिंग (Cold booting) - 

जब सिस्टम को पावर बटन पर क्लिक कर के स्टार्ट किया जाता है तो मेमोरी चेक करके ऑपरेटिंग सिस्टम के लोड होकर कंप्यूटर के पूर्ण रूप से चालू होने तक की प्रोसेस होती है।

वॉर्म बूटिंग (Warm booting) - 

जब पहले से ऑन कंप्यूटर को अचानक किसी कारण से रिस्टार्ट किया जाता है, इसमें चूकि पहले से ऑन होने के कारण मेमोरी पहले ही लोड हो चुकी होती है, इसलिए इसमें मेमोरी चेक नहीं होती है और कंप्यूटर स्टार्ट हो जाता है।यह जो प्रक्रिया होती है वह वार्म बूटिंग कहलाती है।
आप पढ़ रहे हैं what is system software, system software examples, what is Operating system, what is Operating system and it's function आदि के बारे में। 

  • असेम्बलर्स (Assemblers, what is assembler) - 

असेम्बलर्स एक प्रकार के सिस्टम सॉफ्टवेयर प्रोग्राम होते हैं जो हाई लेवल लेंग्वेज (Source code) को मशीन लेवल लेंग्वेज (Object code) में बदलते हैं। कंप्यूटर हाई लेवल लेंग्वेज जैसे java, c, c++, python, php आदि को सीधे नहीं समझ पाता है। कंप्यूटर मशीन लेंग्वेज 0 and 1 (Binary code) के रूप में ही लिखे हुए वर्ड्स या कोड को समझता है। असेम्बलर्स का काम इन्ही हाई लेवल लेंग्वेज को मशीन लेवल लेंग्वेज में कन्वर्ट (बदलना) करना होता है, जिससे हाई लेवल लेंग्वेज कंप्यूटर की समझ में आ जाये। जब असेम्बलर जिस कंप्यूटर पर यह चलता है उसी के लिए ऑब्जेक्ट कोड (मशीन लैंग्वेज) देता है तो यह सेल्फ रेजिडेंट असेम्बलर कहलाता है और जब दूसरे कंप्यूटर के लिए ऑब्जेक्ट कोड देता है तो इसे क्रॉस असेम्बलर कहा जाता है।

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  • कम्पाइलर्स (Compilers, what is compiler) - 
What is compiler
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कम्पाइलर्स ऐसे प्रोग्राम होते हैं जो हाई लेवल लेंग्वेज (Source code) को मशीन लेंग्वेज (Object code) में कन्वर्ट या ट्रांसलेट करते हैं। यह पूरे प्रोग्राम को एक या दो ही बार में सारे ऐरर्स (errors) सहित चेक कर लेता है और फिर उन्हें ट्रांसलेट कर देता है। ये मेमोरी में ज्यादा स्पेस कवर करते हैं। जब कम्पाइलर जिस कंप्यूटर पर यह चलता है उसी के लिए ऑब्जेक्ट कोड देता है तो यह सेल्फ रेजिडेंट कम्पाइलर कहलाता है और जब दूसरे कंप्यूटर के लिए ऑब्जेक्ट कोड देता है तो इसे क्रॉस कम्पाइलर कहा जाता है। इसके द्वारा बनाए गए ऑब्जेक्ट कोड कम्पुयटर में सेव हो जाते हैं और इन्हें पुनः यूज किया जा सकता है। 

  • इन्टरप्रिटर्स (Interpreters, what is interpreter) - 
What is interpreter
What is interpreter 


इंटरप्रिटर वे प्रोग्राम होते हैं जो हाई लेवल लेंग्वेज को मशीन लेवल लेंग्वेज में स्टेटमेंट बाई स्टेटमेंट ट्रांसलेट करते हैं। यह एक स्टेटमेंट को ट्रांसलेट करने के बाद फिर दूसरे स्टेटमेंट को मशीन लेंग्वेज में ट्रांसलेट करता है। इस लिए ये हर लाइन को बारी बारी से ट्रांसलेट करता हैं, जिस कारण यह काफी धीमा होता हैं। यह कम मेमोरी वाले कंप्यूटरों में यूज होता है। इसके द्वारा बनाया गया ऑब्जेक्ट कोड अस्थायी होता है क्योंकि यह सेव नहीं होता है इसलिए भविष्य में दुबारा यूज नहीं हो पाता है।

[इस आर्टिकल में आपने निमनिम्नलिखित को पढ़ा -

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