बीमा क्या है (what is insurance, what is insurance in hindi)?
बीमा किसी संपत्ति या आस्ति की एक निश्चित अवधि तक दी जाने वाली आर्थिक सुरक्षा की गारंटी है जो कि उस आस्ति के साथ होने वाली किसी दुर्घटना, मृत्यु, चोरी या हानि आदि की दशा में होने वाले आर्थिक नुकसान को कम करता है। यह गारंटी उस अवधि के दौरान होने वाली किसी दुर्घटना, मृत्यु, चोरी, हानि आदि के उपरान्त बीमा कंपनी या कर्ता के द्वारा बीमा धारक या उसके हितकारी को भुगतान की जाती है। दरअसल बीमा, बीमा धारक (आस्तियों का स्वामी) और बीमा करने वाली कंपनी के बीच एक अनुबंध है, जिसके पूरा होने पर बीमा कंपनी के द्वारा बीमा सुरक्षा की धनराशि बीमा धारक या उसके हितकारी को भुगतान किया जाता है। इसके बदले आस्ति (Asset) के स्वामी द्वारा बीमा कर्ता को कुछ धनराशि का भुगतान बीमा अवधि तक दिए गए शर्तों के अनुसार करना होता है। आगे what is insurance को और समझेंगे।
What is insurance |
व्यक्ति या वस्तु दोनों ही एक संपत्ति (Asset) की तरह होते हैं और हर संपत्ति की एक कीमत होती है। जिसका का कोई न कोई स्वामी होता है। हर संपत्ति से उसके स्वामी या मालिक को कुछ न कुछ लाभ की अपेक्षा होती है। चूकि हर संपत्ति की एक उम्र होती है उसके बाद उससे किसी प्रकार के लाभ की अपेक्षा नहीं होती है क्योंकि एक समय के बाद वह नस्ट हो जाती है या मृत हो जाती है। इसलिए उसका बीमा करवाया जाता है ताकि उसके बाद उससे मिलने वाले लाभ के नुकसान को कम किया जा सके। यह लाभ आय, धनराशि या अन्य किसी और रूप में भी हो सकती है। जैसे कोई कंपनी, वाहन या कोई जानवर आदि का उदाहरण लिया जा सकता है। किसी कम्पनी से हम कुछ उत्पाद बेचकर मुनाफा कमाते हैं तो किसी जानवर गाय या बकरी का दूध आदि बेचकर उससे मुनाफा कमाते हैं। यह सब एक संपत्ति ही होते हैं। तो हमने ये जाना कि what is insurance (बीमा क्या है) और what is insurance in hindi (बीमा क्या है हिन्दी में)।
सबसे पहले बीमा के इतिहास (History of insurance) को जानना जरूरी है।
बीमा की उत्पत्ति और इतिहास (Origin and history of insurance) -
यद्यपि वर्तमान में बीमा व्यवसाय एक आधुनिक और मुनाफे का उद्योग बन चुका है परन्तु
बीमा की उत्पत्ति का इतिहास लगभग 3000 ई. पू. से ही माना जाता है। उस समय चीन के व्यापारी जो तेज बहाव वाली नदियों में या समुद्र में व्यापारिक यात्राएँ करते रहते थे, वे अपने सामानों को कई अलग अलग नौकाओं और कई छोटे छोटे जहाजों में रखकर इसलिए यात्रायें करते थे ताकि किसी दुर्घटना की स्थिति में पूर्ण नुकसान से बच सकें अर्थात् अपने नुकसान को कम कर सकें। इसी प्रकार बेबीलोन के व्यापारी साहूकारों से व्यापार के लिए जो कर्ज लेते थे उसके बदले कर्ज की धनराशि से कुछ अतिरिक्त धनराशि साहूकार को चुकाते थे ताकि समुद्री नौकाओं के चोरी होने की स्थिति में कर्ज चुकाया जा सके। बीमा इतिहास के इसी क्रम में रोड्स के लोगों ने 'सामान्य बीमा हानि' के नियम बनाये जिसका मतलब यह होता था कि कई सारे व्यापारियों के वस्तुओं को एक साथ एक ही जहाज में ले जाने पर यदि जहाज के साथ कोई दुर्घटना होती थी तो जहाज के कैप्टन द्वारा कुछ सामानों को पानी में फेंक दिया जाता था ताकि जहाज के वजन को कम करके उसे सुरक्षित निकाला जा सके। ऐसे में नुकसान को सभी व्यापारियों द्वारा समान रूप से थोड़ा थोड़ा वहन किया जाता था जिससे नुकसान को कम से कम किया जा सकता था। आगे चलकर सातवीं सदी में ग्रीक के लोगों ने 'बेनोवोलेंट सोसाइटियों' की स्थापना की जिसमें मृतकों के अंतिम संस्कार के खर्च और उनके परिवार के सदस्यों की देखभाल किया जा सके। इसी तरह लंदन में 'मैत्रीपूर्ण सोसायटियां' भी बनीं।
कई शताब्दियों के बाद 1666 ई.वी. में लंदन में एक बार भयंकर आग लगने से कई हजार घर जलकर खाक हो गए, जिसके फलस्वरूप आग से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए 1680 ई.वी. में लंदन में 'फायर ऑफिस' के नाम से पहली अग्नि बीमा कंपनी बनाई गई। तो Origin and history of insurance तथा History of insurance को इस क्रम में जाना जा सकता है।
आधुनिक बीमा उद्योग के स्वरूप की शुरुआत लंदन के 'लाॅयडस काफी हॉउस' से हुई। यहां इकट्ठा होने वाले व्यापारियों ने मिलकर एक नियम बनाया जिससे समुद्री व्यापार में होने वाली हानियों को कम करने के लिए सभी व्यापारियों द्वारा परस्पर रूप से हानि की भरपाई की जायेगी। ये हानियां समुद्र में जहाज का डूब या समुद्री डाकुओं द्वारा जहाज को लूट लेने आदि से होती थी।
History of insurance in India -
भारत में बीमा कंपनी की शुरुआत 'ओरिएंटल लाइफ इंश्योरेंस' जो कि इंग्लिश कंपनी थी के द्वारा 1818 ई.वी. में हुई। लेकिन 1870 ई.वी. में बंबई में भारत में स्थापित पहली बीमा कंपनी 'बॉम्बे म्यूचुअल इंश्योरेंस सोसाइटी' की शुरुआत हुई। इसके बाद कुछ और बीमा कंपनियों को भारत में खोला गया जिसमें 1896 ई.वी. में दिल्ली में' भारत इंश्योरेंस कंपनी', 1897 में बंबई में 'एंपायर आफ इंडिया', मद्रास में 'यूनाइटेड इंडिया' और कलकत्ता में 'दि हिंदुस्तान कोआपरेटिव',' नेशनल' और दि नेशनल इंडियन आदि कॉमपनियों को खोला गया।
इसके अलावा देश के अन्य हिस्सों में कुछ और बीमा कंपनियों को खोला गया। 1956 ई.वी. में भारतीय बीमा उद्योग का राष्ट्रीयकरण और 1 सितंबर 1956 को 'भारतीय जीवन बीमा निगम' की स्थापना की गई। अब भारत में बीमा उद्योग एक विस्तृत और सफल उद्योग बन चुका है। इस क्रम में बीमा व्यवसाय पर नियंत्रण रखने और बढ़ावा देने के लिए 1999 ई.वी. में आई.आर.डी.ए. (Insurance Regulatory and Development Authority) की स्थापना की गई तथा पब्लिक सेक्टर की कंपनियों को बीमा करने के लिए लाइसेंस देना शुरू किया गया जिससे इस क्षेत्र में 'भारतीय जीवन बीमा निगम' का एकाधिकार समाप्त हो गया और देश में रोजगार के भारी अवसर भी उत्पन्न हुए।
Type of insurance in hindi, what is insurance and its type -
बीमा मुख्यतः दो प्रकार का होता है।
1. जीवन बीमा (Life insurance) -
जीवन बीमा, बीमा धारक और बीमा कंपनी के बीच एक निश्चित समय तक के लिए किया जाने वाला एक अनुबंध है जिसके तहत मृत्यु जैसी क्षति होने पर बीमा धारक के परिवार को होने वाली आर्थिक क्षति को बीमा कंपनी द्वारा बीमा की धनराशि देकर कम किया जाता है। अर्थात बीमा धारक की मृत्यु होने पर बीमा कंपनी द्वारा उसके आश्रित को मुआवजा दिया जाता है।
इसके बदले बीमा धारक तय अवधि तक बीमा कर्ता या कंपनी को अनुबंध की शर्तों के अनुसार एक निश्चित धनराशि का भुगतान करता है। बीमा अवधि के दौरान बीमा धारक की मृत्यु या पूर्णतः विकलांग होने की स्थिति में बीमा धारक के आश्रित या हितकारी (Nominee) को बीमा की धनराशि का भुगतान करती है। यदि बीमा की अवधि तक इनमें से कोई हानि नहीं हुई तो बीमा कंपनी बीमा धारक को बीमा कवर की धनराशि के साथ कुल दिए हुए किश्तो को बोनस सहित भुगतान करती है।
इसके बदले बीमा धारक तय अवधि तक बीमा कर्ता या कंपनी को अनुबंध की शर्तों के अनुसार एक निश्चित धनराशि का भुगतान करता है। बीमा अवधि के दौरान बीमा धारक की मृत्यु या पूर्णतः विकलांग होने की स्थिति में बीमा धारक के आश्रित या हितकारी (Nominee) को बीमा की धनराशि का भुगतान करती है। यदि बीमा की अवधि तक इनमें से कोई हानि नहीं हुई तो बीमा कंपनी बीमा धारक को बीमा कवर की धनराशि के साथ कुल दिए हुए किश्तो को बोनस सहित भुगतान करती है।
जनरल बीमा किसी एसेट के दुर्घटना, चोरी या किसी अन्य हानि आदि की दशा में होने वाले आर्थिक नुकसान की भरपाई एसेट के स्वामी को करता है। इसमें बीमा धारक की मृत्यु, विकलांगता से कोई संबंध नहीं होता है क्योंकि यह जीवन बीमा से भिन्न है। इसमें वाहन, घर, स्वास्थ्य, यात्रा, फसल, पशु आदि का बीमा किया जाता है। इस तरह इसमें निर्जीव संपत्तियों के किसी दुर्घटना आदि के उपरान्त उससे होने वाली आर्थिक क्षति की भरपाई की जाती है।
यद्यपि आज हर वस्तु का बीमा किया जा सकता है लेकिन जनरल बीमा के मुख्य प्रकार निम्न हैं -
1. वाहन बीमा
2. स्वास्थ्य बीमा
3. यात्रा बीमा
4. होम या घर का बीमा
1. वाहन बीमा (Motor insurance) -
इसमें कार, मोटर साइकिल आदि का बीमा किया जाता है ताकि इनकी दुर्घटना होने पर क्षति को कम किया जा सके। हमारे देश में वाहन बीमा कराना कानूनी रूप से जरूरी है अन्यथा ट्रैफिक नियमों के अनुसार पकड़े जाने पर चालान हो सकता है। वाहन बीमा करवाने से वाहन के साथ होने वाली किसी दुर्घटना, चोरी आदि की दशा में उसकी क्षतिपूर्ति करने में मदद मिलती है।
Motor insurance |
2. स्वास्थ्य बीमा (Health insurance) -
इसमें व्यक्ति के स्वास्थ्य का बीमा किया जाता है, जिससे गंभीर बीमारियों में होने वाले इलाज पर होने वाले खर्च के लिए क्षतिपूर्ति की जाती है और इलाज का खर्च बीमा कवर की धनराशि तक बीमा कर्ता कंपनी को वहन करना पड़ता है। इससे गम्भीर बीमारियों के इलाज में काफी हद तक आर्थिक मदद मिल सकती है।
3. यात्रा बीमा (Travel insurance) -
इसमें यात्राओं के दौरान घटने वाली दुर्घटनाओं में होने वाली क्षति को कम करने के लिए बीमा किया जाता है। यात्रा बीमा केवल यात्रा की शुरुआत से लेकर यात्रा के अन्त तक होने वाली दुर्घटना को ही कवर करता है।
4. होम बीमा (Home insurance) -
इसमें घर का बीमा किया जाता है ताकि भूकम्प, बाढ़, आकाशिय बिजली, चोरी या आग आदि जैसी किसी आपदा से घर को होने वाले नुकसान की भरपाई की जा सके। घर के साथ हुई ऐसी किसी दुर्घटना होने पर बीमा कंपनी के द्वारा नुकसान की भरपाई की जाती है।
5. अग्नि बीमा (Fire insurance) -
यह बीमा आग से होने वाली हानियों से बचने के लिए किया जाता है।
इसमें फसलों को आग लगने, बाढ़ आने या किसी बीमारी से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए बीमा होता है। लेकिन हमारे देश के किसानों में इसके लिए अभी जागरूकता की कमी है।
6. फसल बीमा (Crop insurance) -
इसमें फसलों को आग लगने, बाढ़ आने या किसी बीमारी से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए बीमा होता है। लेकिन हमारे देश के किसानों में इसके लिए अभी जागरूकता की कमी है।
आज कल सूक्ष्म बीमा भी काफी चलन में है।
आपने इस लेख में हमने निम्नलिखित के बारे में पढ़ा -
Very nice
ReplyDeleteI want to say thanks to you. I have bookmark your site for future updates. life insurance over 50
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